चाँद के पार भाग - 14
लड़का हँसते हुए बोला, नही नही बस एक बात बोलनी थी आप से दिमाग सब भी गरम हो और कुछ समंझ में न आ रहा हो कि अब हंमे आगे क्या करना चाहिए तब गुस्से से नही ठंडे दिमाग से कम लेना चाहिए ,,,,,,
पलक बोली अब आप मुझे समझगे की मुझे क्या करना चाहिए ,,,,,
वो बोला वैसे तो ये आप की मर्जी है और जब भी मैं इस तरह के मसले में पड़ता हूँ तो गाने सुनता हूँ दिमाग थोड़ा शांत हो जाता है,,,,,,,
देखो मिस्टर अब बहुत हो गया ज्यादा खिचड़ी न पकाओ ,,,,,
पलक बोल ही रही थी कि उसने एक गाना गाना शुरू कर दिया,,,,,,,
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई
शिकवा तो नहीं, शिकवा नहीं
शिकवा नहीं शिकवा नहीं
तेरे बिना ज़िन्दगी भी लेकिन
ज़िन्दगी तो नहीं, ज़िन्दगी नहीं
ज़िन्दगी नहीं ज़िन्दगी नहीं
तेरे बिना ज़िन्दगी से शिकवा तो नहीं
पलक बोलते बोलते चुप हो जाती है और उसकी आवाज़ में खोने लगती है उसे ऐसा लगता है ऐसे ये गाना उसके ही लिए हो,,,,,
पलक को खामोश होता हुआ वो फिर गाने लगता है!
काश ऐसा हो
तेरे क़दमों से चुन के मंज़िल चलें
और कहीं, दूर कहीं
काश ऐसा हो
तेरे क़दमों से चुन के मंज़िल चलें
और कहीं, दूर कहीं
तुम गर साथ हो
मंज़िलों की कमी तो नहीं
तेरे बिना ज़िन्दगी से कोई
शिकवा तो नहीं, शिकवा नहीं
शिकवा नहीं शिकवा नहीं
जी में आता है
तेरे दामन में सर छुपा के हम
रोते रहें, रोते रहें
जी में आता है
तेरे दामन में सर छुपा के हम
रोते रहें, रोते रहें
तेरी भी आँखों में
आँसुओं की नमी तो नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी से कोई
शिकवा, तो नहीं शिकवा नहीं
शिकवा नहीं, शिकवा नहीं
तेरे बिना ज़िंदगी भी लेकिन
ज़िंदगी, तो नहीं, ज़िंदगी नहीं
ज़िंदगी नहीं, ज़िंदगी नहीं
तेरे बिना ज़िन्दगी से शिकवा तो नहीं
गाना खत्म हो जाता है पलक अब भी खामोश अपने हाथों में फोन पकड़े हुए खिड़की से बाहर की तरफ देख रही थी,,,,
दोनो की बीच की खामोशी को तोड़ते हुए लड़का बोला अब कैसा महसूस कर रही है आप,,,,
पलक कुछ नही बोली तो वो बोला अब आप की जो भी परेशानी है उसे ठंडे दिमाग से सोचे ऐसी कोई परेशानी नही जिस का कोई हल नही बस हम उसे अपने गुस्से में देख नही पाते ,,,,,,
अगर ज्यादा बोल गया हूँ तो माफी मांगते है आप से,,,,,,
पलक बोली, नही आप सही है गुस्से में काम बिगड़ते है बनते नही और अपने व्यवहार के लिए sry ,,,,,,
कोई नही बड़े बड़े शहरों में ऐसी छोटी छोटी बाते होती रहती है मिस,,,,,
ओर कभी भी फ्री की सलाह चाहिए हो तो मिल लेना फिर से फोन बार बार किस्मत गलत वायर नही जोड़ती है ,,,,,
वो उसे अपना नंबर बात कर फोन रख देता है,,,,,,
पलक फिर से सोचने लगती है मुझे गुस्सा किस बात पर आ रहा है ना ही मैने कबि आयुष्मान से बोला है कि मैं उससे प्यार करती हूँ न ही उसने कभी और न ही सिमरन ने मुझे बोला कि वो उसे पसंद करती है,,,,,,
पलक तू कितनी बड़ी पागल है खुद ही न जाने क्या क्या सोच कर अपना तो दिमाग खराब कर ही रही है साथ मे और सब का भी,,,,,,
तेरी ऐसी हरकतों की वजह से ही घर और कॉलिज में कितना रायता फैला है तुझे इस बात का अंदाजा है भी ,,,,,,
अगर तू प्यार करती है तो जरूरी तो नही न कि वो भी तुझे पंसद करे तुकी भी तो कोई पसंद न पसंद होगी कि वो केसी लड़की अपनी ज़िंदगी मे चाहता है,,,
और सिमरन उसकी पड़ोसन है तो बात तो उससे करेगी ही न जरूरी तो नही की वो प्यार ही करती हो,,,,,
अगर करती है और आयुष्मान भी करता है तो मैं कौन होती हूँ दोनो के बीच मे आने वाली मेरा तो प्यार एक तरफ है ना वो तो जानता तक नही की नही की मेरे दिल मे उसके लिए कुछ एहसास है और तूने उसे भी पता नही क्या क्या सुनाया है वो क्या सोचता होगा तेरे बारे में कैसी नकचिड़ी लड़की है,,,,,
ओर सब से बड़ी बात इन सब मे तूने माँ से क्या क्या बोल दिया तुझे याद भी है ,,,,,,,,
अपने आप से ही इतनी सारी बाते करते हुए सर पर एक चपत लगती है ,,,,,,,
बेटा पलक सुधार जा तू सुधार जा आगे जो भी होगा देखा जाएगा इन सब बातों को सोच कर तू अपने अपनो को तकलीफ न दे ,,,,,,,,
वो अपने फोन को देखते हुए बोलती है थैंक्यू रोंग नंबर,,,,,,,,
क्या पलक इस अजनबी की बात मान जाएगी किया सब ठीक हो जाएगा , सिमरन ओर पलक की फिर से दोस्ती पक्की हो जाएगी,,
जारी है